Tuesday, January 8, 2008

श्री कल्याण कुमार शशि की एक कविता

साहसी को बल दिया है, मृत्यु ने मारा नहीं है।
राह ही हारी सदा राही कभी हारा नहीं है
बिजलियाँ काली घटाओं से कहाँ रोके रुकी हैं ।
डूबते देखे भंवर ही डूबती धारा नहीं है ।
जो व्यथायेँ प्रेरणा दें उन व्यथाओं को दुलारो ,
जूझ कर कठिनाइयों से रंग जीवन का निखारो
दीप बुझ- बुझ कर जला है ,वृक्ष कट-कट कर बढ़ा है,
मृत्यु से जीवन मिले,तो आरती उसकी उतारो ।